SET KAR DIYA
मुझे अक्सर गदराई हुई मस्त औरतें बहुत ज्यादा पसंद आती हैं.
ऐसी बिंदास औरतों को देखकर मेरा लंड फनफना उठता है.
अभी कुछ दिनों पहले ही मेरी कल्पना मौसी हमारे घर आई थीं. उनके साथ मौसी के बच्चे भी थे, जो 5 व 7 साल के थे.
मौसी को देखते ही मेरा लंड ठनक उठा.
आज मैं मौसी को दो साल बाद देख रहा था. मौसी के गोरे चिकने जिस्म, बड़े बड़े बोबे और फूली हुई मस्त गांड को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मौसी अन्दर आईं और मैंने स्माइल देकर मौसी का स्वागत किया.
कुछ देर बात करने के बाद मौसी आराम करने चली गईं.
कल्पना मौसी लगभग 34 साल की हैं. उनका पूरा जिस्म भरा भरा सा है. मौसी कातिलाना जिस्म की मालकिन हैं.
उनके बड़े बड़े दूध और फूली हुई गांड हर किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकती है.
मौसी के बोबे लगभग 34 साइज के हैं. वो हमेशा अपने बोबों को अच्छी तरह से ढककर रखती हैं, जिससे उनके बोबों की झलक देख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, पर मम्मों के उभार को छिपा पाना किसी भी महिला के लिए नामुमकिन होता है. इसलिए मैंने समझ लिया था कि मौसी की चूचियाँ जरूर चूसनी हैं.
मौसी की चिकनी कमर की 30 इंच की साइज है और उनकी सेक्सी गांड लगभग 36 इंच साइज की है.
साड़ी में मौसी की गांड बहुत मटकती हुई नज़र आती है.
फिर शाम को हम पार्क में घूमने निकल गए. बच्चे पार्क में खेल रहे थे और मैं मौसी के साथ बातचीत कर रहा था.
मेरी हवस भरी नज़रें हॉट मौसी की जवानी पर टिकी हुई थीं. मैं मौसी के बोबों को ताड़ने की कोशिश कर रहा था.
तभी मौसी ने पल्लू को अच्छी से ठीक किया और बोबों को ढक लिया.
खैर … मैंने हिम्मत नहीं हारी और उनसे बात करता रहा.
फिर हम घर लौटे और रात को मौसी जल्दी ही सो गईं.
इधर मैं रातभर मौसी को चोदने के ख्यालों में खोया रहा और लंड को मसलता रहा.
अब सुबह हो चुकी थी मेरी नींद खुली तो ख्यालों में मौसी ही थीं और मैं उन्हें याद करके अपना लंड मसलने लगा था.
लंड एकदम कड़क हो गया था और मैं आँख बंद करके बेसुध होकर अपने लंड से खेल रहा था.
तभी अचानक से मौसी मेरे रूम में आईं और उन्होंने मेरी चादर को खींच दिया.
“रोहित … उठ, कब तब सोता रहेगा. अब तो उठ जा!”
जैसे ही मौसी ने चादर को खींचा, तो उनकी नज़र मेरे खड़े हुए मोटे तगड़े लंड पर पड़ी.
मौसी मेरे हाथ में लंड देखते ही सकपका गईं.
वे मुझे कहकर तुरंत वापस चली गईं- उठकर बाहर आ जा … चाय तैयार है.
मगर मैं अपने लंड को ठंडा होने के बाद ही बाहर गया.
मौसी किचन में ही थीं.
मैं बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस कर रहा था.
तभी मौसी की सेक्सी गांड को देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया.
मौसी ने मुझे चाय पकड़ा दी.
तभी मौसी की नज़र फिर से मेरे लंड के तम्बू पर पड़ गई.
मौसी ने कुछ नहीं कहा और वो अपना काम करने लगीं.
फिर ऐसे ही दिन निकल गया.
अब एक तरफ तो मुझे डर भी लग रहा था लेकिन दूसरी तरफ मौसी को चोदने की इच्छा भी हो रही थी.
समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
मौसी मुझसे कटी कटी सी रह रही थीं.
तभी मैंने मौका देखकर मौसी से सॉरी बोला.
“कोई बात नहीं रोहित, इस उम्र में ऐसा होता है. लेकिन फिर भी तुझे थोड़ा ध्यान रखना चाहिए.”
“हां मौसी, अब ऐसा नहीं होगा.”
मौसी ने मुझे माफ़ कर दिया था लेकिन मेरा लंड उनकी चूत मांग रहा था.
मैं बहुत परेशान हो रहा था. मेरा लंड मौसी के साथ संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था.
मैं मौसी को रोज हवस भरी नज़रों से ताड़ रहा था.
मौसी भी मेरी हवस भरी नज़रों को पढ़ रही थीं.
फिर एक दिन मौसी टीवी देख रही थीं. उनके साथ मेरी बहन और बच्चे भी बैठे हुए थे.
मैं खड़ा होकर मौसी को ताड़ रहा था. वो बार बार मुझसे नज़रें चुरा रही थीं.
फिर कुछ देर बाद मेरी बहन उठकर रूम में चली गई.
तभी मैंने मौके की नजाकत को समझा और मैं उठकर मौसी के पास जाकर बैठ गया.
अब मैं धीरे धीरे मौसी के हाथ और कलाई को टच करने लगा.
तभी मौसी ने हँसते हुआ कहा- रोहित टीवी देख चुपचाप!
“देख तो रहा हूँ मौसी.”ब मौसी का हाथ मेरे हाथ में था. मैं उनके हाथ को मसल रहा था.
“सभी यहीं हैं यार … ये क्या कर रहा है तू!”
उन्होंने जैसे ही ये कहा, मेरी बाँछें खिल गईं.
“तो फिर आप अन्दर चलो ना मौसी.”
तभी मौसी ने कहा- ज्यादा शैतान मत बन … वर्ना सब कुछ तेरी मम्मी को बता दूँगी. आजकल तेरे दिमाग में क्या चल रहा है? सब जानती हूँ मैं!
मैं- जब आप सब जानती हो तो फिर इतना क्यों तड़पा रही हो मौसी?
मौसी- जो तू चाहता है, वो नहीं हो सकता. अब मुझे ज्यादा छेड़ मत!
मैं- छेड़ना तो पड़ेगा मौसी. वर्ना आप थोड़े ही मानोगी.
अब मैं मौसी को बेडरूम में ले जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी जाने को तैयार नहीं हो रही थीं.
फिर बहुत देर बाद मौसी ने बच्चों को सुला दिया और खुद भी सो गईं.
मैं लंड पकड़कर इधर उधर टहल रहा था लेकिन लंड को मौसी की चूत में डालने का मौका नहीं मिल रहा था.
शाम को मम्मी मार्केट चली गईं और मेरी बहन मौसी के बच्चों के साथ छत पर खेल रही थी.
मौसी उस टाइम बेडरूम में कुछ काम कर रही थीं.
बस फिर क्या था … मैं झट से मौक़ा देखकर मौसी के रूम में घुस गया और मैंने मौसी को दबोच लिया.
मेरी इस हरकत से मौसी एकदम से चौंक गईं. वो मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगीं- रोहित पागल हो गया क्या? छोड़ मुझे.
मैं- मौसी, अब मैं और सब्र नहीं कर सकता.
मैंने मौसी के बोबों को ज़ोर से दबा दिया.
आह … बहुत ही मस्त बोबे थे मौसी के!
इधर मेरा लंड मौसी की गांड में घुसने के लिए दबाव बनाने लगा था.
मैंने मौसी को बेड पर पटक दिया.
मौसी की डर के मारे गांड फटने लगी.
“रोहित … कोई आ जाएगा!”
मैं- कोई नहीं आएगा मौसी.
मैंने फटाफट से मौसी के लाल गुलाबी रसीले होंठों पर मेरे प्यासे होंठ रख दिए और मैं ताबड़तोड़ मौसी के होंठों का रस पीने लगा.
“ऑउच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च पुच्च …” की आवाज़ों से कमरा गूँजने लगा.
उधर मैं मौसी के बोबों को रगड़ता हुआ मौसी के गुलाबी होंठों की चाशनी पी रहा था. इधर मेरा लंड मौसी की चूत ढूंढने में लगा था.
मैं मौसी की चूत में लंड डालता, उससे पहले ही सीढ़ियों से नीचे आने की आवाज़ आई.
उसी पल मौसी ने मुझे धक्का देकर दूर हटा दिया और उन्होंने अपनी साड़ी और ब्लाउज ठीक कर लिया.
फिर जल्दी ही वो रूम से बाहर भाग गईं.
साला आज भी मेरा लंड मौसी को चोदे बिना ही रह गया.
शाम को मौसी मुझसे गुस्सा करती हुई नज़र आ रही थीं.
“मैं कह रही थी ना कि कोई आ जाएगा … लेकिन तू तो मेरी बात ही नहीं सुन रहा था!”
मैं- सॉरी मौसी, मैं कुछ ज्यादा ही जल्दबाज़ी में था.
“ऐसी कौन सी जल्दबाज़ी यार … अगर रितिका सब कुछ देख लेती तो मेरी कितनी बदनामी होती?”
मैं- हां मौसी, सब कुछ बिगड़ जाता.
“अब मेरे साथ ऐसी कोई हरकत मत करना.”
मौसी मुझसे बहुत ज्यादा नाराज़ थीं.
अब मुझे मौसी की चूत मिलना भी मुश्किल नज़र आ रही थी.
फिर दो दिन ऐसे ही निकल गए.
मेरा लंड अभी भी प्यासा ही था.
मौसी अपनी चूत देने के मूड में नज़र नहीं आ रही थीं.
इस घटना के तीसरे दिन घर में और मेहमान आ गए. अब घर में जगह की कमी के कारण मम्मी ने मौसी के सोने का जुगाड़ ऊपर वाले कमरे में कर दिया.
मेरे सोने का जुगाड़ भी मौसी के पास वाले रूम में ही था.
रात को खाना खाने के बाद मौसी बच्चों को साथ लेकर रूम में आ गईं.
मौसी अब भी मुझसे नाराज़ थीं.
कुछ देर बाद बच्चे सो गए और मौसी मोबाइल चलाती रहीं.
मुझे हॉट मौसी की जवानी की सोच सोच कर नींद नहीं आ रही थी.
मैं हिम्मत करके मौसी के रूम में चला गया और मौसी से इधर उधर की बातें करने लगा.
मैं बेड के दूसरी ओर लेटकर मौसी को ताड़ रहा था. मेरा लंड मौसी की चूत के लिए फनफना रहा था.
फिर मैंने हिम्मत की और उठकर मौसी की बगल में लेट गया.
मैं मौसी को चोदने के लिए उतावला हो रहा था.
मैंने मौसी के बोबों पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे मौसी के बोबों को मसलने लगा.
मौसी ने कोई प्रतिकिया नहीं दी, वे मोबाइल चलाती रही.
मैं मौसी के पेटीकोट में हाथ डालने लगा.
“रोहित, तू फिर से शुरू हो गया ना! मैंने तूझे समझाया था ना?”
“हां यार … लेकिन आज तो पूरा मौका है ना … अब आज तो आप मुझे मेरी प्यास बुझाने का मौक़ा दे दो!”
वे कुछ नहीं बोलीं, शायद उनका भी मूड बन गया था.
ऐसा सोचते ही मैंने मौसी के पेटीकोट में हाथ घुसा दिया और उनकी चूत मसलने लगा.
मौसी की चूत भट्टी की तरह जल रही थी.
अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर भी वो बिल्कुल चुप थीं. इसका मतलब साफ था.
इधर मेरा लंड मौसी की गांड में रगड़ खाने लगा.
तभी मैंने मौसी के बोबों को बुरी तरह से भींच दिया.
“ईससस्स …” एकदम से मौसी की सिसकारी निकल पड़ी.
मौसी मेरे हाथ को दूर हटाने लगीं- रोहित यार मत कर … मैं तुझे मना कर चुकी हूं!
“मौसी आप अब जो भी समझो, लेकिन अब मैं आपसे दूर नहीं रह सकता.”
यह कहकर मैंने मौसी को ज़ोर से कस लिया.
मौसी की खामोशी मेरे लंड को उकसाने लगी और मैंने मौसी की चूत को ज़ोर से कुरेद डाला.
“आईईईई सिसस्स … ओह रोहित मान जा ना यार.”
अब मौसी की ना में मुझे हां नज़र आ रही थी.
मैं मौसी की चूत और बोबों को बुरी तरह से मसलने लगा.
मौसी धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगीं; उनका विरोध खत्म हो गया था और टांगें फैल गई थीं.
तभी मैंने मौसी को सीधा किया और मैं फटाक से मौसी के ऊपर चढ़ गया.
मैंने जल्दी से मौसी के रसीले गुलाबी होंठों पर मेरे प्यासे होंठ रगड़ दिए और ताबड़तोड़ मौसी के होंठों का रस पीने लगा.
कुछ ही देर में मौसी की चूत की आग भड़कने लगी और मौसी भी मेरे होंठों को अपने होंठों में फंसाने लगीं.
रूम आउच पुच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च की आवाज़ों से गूंज उठा.
अब मुझसे से सब्र नहीं हो रहा था.
मैं मौसी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा लेकिन मौसी ने मुझे रोक दिया- यहां बच्चे सो रहे हैं.
तो मैं मौसी का इशारा समझ गया और मैं तुरंत मौसी का हाथ पकड़कर उन्हें मेरे रूम में ले आया.
मैंने मौसी को फटाफट से बेड पर पटक कर उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए और ब्रा को ऊपर सरका कर मौसी के बोबों को नंगा कर दिया.
“ओह मौसी बहुत ही मस्त बोबे हैं आपके … आह आज तो पूरा निचोड़ डालूंगा इनको.”
मैंने मौसी के बोबों को ज़ोर से अपनी दोनों हाथ की मुट्ठियों में कस लिया और बुरी तरह से मौसी के बोबों को निचोड़ने लगा.
मौसी के बोबों को इस तरह से दबाने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था.
“ओह मौसी! बहुत ही शानदार बोबे हैं आपके आहा!”
“धीरे धीरे दबा रोहित. क्या आज ही इनको उखाड़ने का इरादा है?”
“हां मौसी.”
मैं झमाझम मौसी के बोबों को मसल रहा था.
मौसी दर्द के मारे ऊँह ऊँह कर रही थीं.
कुछ देर में ही मौसी के बोबे लाल हो चुके थे.
मैंने जल्दी से मौसी के एक रसीले बोबे को मुँह में दबा लिया और किसी भूखे जानवर की तरह चूसने लगा.
मेरा दूसरा हाथ दूसरे बोबे की माँ चोदने में लगा था.
“आहा … मौसी बहुत ही मस्त स्वाद है आपके बोबे का आह मैं तो पागल सा होने लगा हूँ.”
यह सुनकर मौसी भी मेरे सर को थाम कर मुझको दूध पिलाने लगीं.
मैं फुल स्पीड में मौसी के बोबों का स्वाद ले रहा था.
दोस्तो, कल्पना मौसी सैट हो गई थीं अब उनकी चूत चुदाई की कहानी अगले भाग में लिखूँगा.
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